श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# हमने साथ साथ… #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 129 ☆
☆ # हमने साथ साथ… # ☆
हमने गुजारा है
यह वक्त साथ साथ
वक्त के थपेड़ो को
झेला है साथ साथ
तूफानों ने कोई
कसर नही छोड़ी
जब भी मौका मिला
कश्ती मेरी तोड़ी
हमने बनाया है
नयी कश्ती को साथ साथ
एक वक्त ऐसा आया
अपनों ने साथ छोड़ा
सुनहरे सपनों को
बेरहमी से तोड़ा
हमने नये सपनों को
फिर देखा है साथ साथ
जिन पौधों को लगाया था
कि खिलेंगे फूल यहां
वो खुशबू बिखेरेंगे, महकेंगे
गुलशन में वहां
हमें कांटे मिले, जिसे चुना है
हमने साथ साथ
खुशियां उधार की
जमाने में बहुत मिली
उनकी उमर छोटी थी
कुछ देर तक चली
खुशियां ढूंढते रहे
हम जीवन भर साथ साथ
यह रिश्ते नाते, दिखावे का प्यार
एक खूबसूरत भरम है
बुजुर्ग मां-बाप, एक बोझ है
कहते बेशरम है
पति पत्नी का रिश्ता अटूट है
जो हम निभा रहे हैं साथ साथ/
© श्याम खापर्डे
फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो 9425592588
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈