श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है। आज प्रस्तुत है आपका एक माइक्रो व्यंग्य – ——।)
☆ माइक्रो व्यंग्य # 188 ☆ बैठे-ठाले — “जेंडर चेंज…” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
आंख खोलकर जब दुनिया देखता हूं तो बड़ी विषमता नजर आती है। अमीर है गरीब है, नर है नारी है, युद्ध है शान्ति है। बैठे – ठाले सोचा कि इन दिनों नारी सशक्तिकरण के नाम से खूब योजनाएं चल रहीं हैं। अगले गणतंत्र दिवस परेड में तो अब सिर्फ महिलाएं ही परेड करेंगी ऐसी बात चल रही है। कहीं एक हजार महीना मिल रहा है, कहीं फ्री सिलेंडर मिल रहे हैं, कहीं आवास बन रहे, कहीं साइकल, तो कहीं लैपटाप, कहीं दहेज का समान और न जाने क्या क्या…! ऐसे अनेक तरह के फायदे का लाभ उठाने के लिए सोचा, बैठे ठाले क्यों न जेंडर चेंज करा लूं।
सुना है यूक्रेन के खिलाफ एक साल से भी लंबे समय से चल रही जंग में बार्डर पर जाने से बचने के लिए रूस के पुरुष जेंडर चेंज कराकर महिला बन रहे हैं। रूस में जेंडर चेंज कराना बड़ा आसान है। जेंडर चेंज कराने के लिए किसी तरह के आपरेशन की जरूरत नहीं पड़ती।
अपने यहां तो बिना आपरेशन ऐसा हो नहीं सकता, अपने यहां आम आदमी की थथोलने की प्रवृत्ति है। रूस में तो जेंडर चेंज करने के लिए सिर्फ मनोवैज्ञानिक टेस्ट होता है। इस टेस्ट में यह पाए जाने पर कि कोई व्यक्ति खुद को मानसिक तौर पर महिला महसूस करता है तो उसे कानूनन महिला मान लिया जाता है। उन्हें महिलाओं के मिलने वाले हर अधिकार मिल जाते हैं। अपने यहां ऐसा हो जाए तो नेता लोग तुरंत जेंडर चेंज करवा कर वोट मांगने पहुंच जाएंगे, और महिलाओं को मिलने वाले हर अधिकार पर कब्जा कर लेंगे। रूस में कानून इतने सरल हैं कि कोई पुरुष सुबह उठता है और सोचता है कि अब वह महिला बनना चाहता है तो शाम तक बन जाता है। अपने यहां ऐसे होने लगे तो ये 140 करोड़ का देश एक दिन में ‘महिला राष्ट्र’ बन जाएगा, पर बजरंगबली यहां ऐसा होने नहीं देंगे।
416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002 मोबाइल 9977318765
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈