(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ” में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) से सेवानिवृत्त हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। आपको वैचारिक व सामाजिक लेखन हेतु अनेक पुरस्कारो से सम्मानित किया जा चुका है।आज प्रस्तुत है एक व्यंग्य – भाई भतीजा वाद…।)
व्यंग्य – भाई भतीजा वाद…
अंधेर नगरी इन दिनों बड़ी रोशन है। दरअसल अंधेर नगरी में बढ़ रही अंधेरगर्दी को देखते हुए नए चौपट राजा का चुनाव आसन्न हैं। इसलिए नेताजी ए सी कमरे में मुलायम बिस्तर पर भी अलट पलट रहे हैं, उन्हे बैचेनी हो रही है, नींद उड़ी हुई है। वे अपनी जीत सुनिश्चित कर लेना चाहते हैं। पत्नी ने करवट बदलते पति का मन पढ़ते हुए पूछा, एक बात सुझाऊं? हमेशा पत्नी को उपेक्षित कर देने वाले चौपट राजा बोले, बोलो। पत्नी ने कहा आप न उन्ही की शरण में जाओ जिनका तकिया कलाम जपते रहते हो बात बात पर।
मतलब? राजा ने पूछा।
दर असल चौपट राजा का तकिया कलाम ही था “बहन _ _ “।
सारी महिलाओं को बहन बनाकर “नारी की बराबरी ” नाम से कोई योजना घोषित कर डालिए, अव्वल तो आधी आबादी के वोट पक्के हो जायेंगे, महिला हितैषी नेता के रूप में आपकी पहचान बनेगी वो अलग। घर की महिलाएं आपकी समर्थक होंगी तो उनके कहे में पति और बच्चे भी आपको ही वोट देंगे।
चौपट राजा पत्नी की राजनैतिक समझ का लोहा मान गए, खुशी से पत्नी को बांहों में भरते हुए बोले वाह बहन _ _। दूसरे ही दिन जनसभा में नेता जी महिलाओ को “प्यारी बहन” बनाने का उद्घोष कर रहे थे। पीछे लगा बैनर तेज हवा में फड़फड़ा रहा था, जिस पर लिखा था हम परिवारवाद के खिलाफ हैं, देश में भाई भतीजा वाद, परिवार वाद नहीं चलेगा। चौपट राजा जनता से नए रिश्ते गढ़ रहे थे। पैतृक संपत्ति को लेकर उनकी सगी बहन का कानूनी नोटिस उनकी कार के डैश बोर्ड में पडा था।
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