श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है। आज प्रस्तुत है आपका एक माइक्रो व्यंग्य – ——।)
☆ संस्मरण — “परसाई के शहर में शरद जोशी…” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
(स्व. शरद जोशी जी के जन्मदिवस पर विशेष)
वर्षों पूर्व आदरणीय शरद जोशी जी “रचना” संस्था के आयोजन में परसाई की नगरी जबलपुर में मुख्य अतिथि बनकर आए थे। हम उन दिनों “रचना” के संयोजक के रूप में सहयोग करते थे।
उन दिनों “रचना” को साहित्यिक सांस्कृतिक सामाजिक संस्था का मान था । प्रत्येक रंगपंचमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्तर के हास्य व्यंग्य के ख्यातिलब्ध हस्ताक्षर आमंत्रित किए जाते थे। आदरणीय शरद जोशी जी के रुकने की व्यवस्था रसल चौक स्थित उत्सव होटल में की गई थी। वे “व्यंग्य की दशा और दिशा” विषय पर केंद्रित इस कार्यक्रम के वे मुख्य अतिथि थे। व्यंग्य विधा के इस आयोजन के प्रथम सत्र में ख्यातिलब्ध व्यंग्यकार श्री हरिशंकर परसाई जी की रचनाओं पर आधारित रेखाचित्रों की प्रदर्शनी का उदघाटन करते हुए जोशी जी ने कहा था-“मैं भाग्यवान हूँ कि परसाई के शहर में परसाई की रचनाओं पर आधारित रेखाचित्र प्रदर्शनी के उदघाटन का सुअवसर मिला।”
फिर उन्होंने परसाई की सभी रचनाओं को घूम घूम कर पढ़ा हंसते रहे और हंसाते रहे। ख्यातिलब्ध चित्रकार श्रीअवधेश बाजपेयी की पीठ ठोंकी। खूब तारीफ की। व्यंग्य विधा की बारीकियों पर उभरते लेखकों से लंबी बातचीत की।
शाम को जब होटल के कमरे में वापस लौटे तो दिल्ली के अखबार के लिए ‘प्रतिदिन‘कालम लिखा, हमें डाक से भेजने के लिए दिया। साहित्यकारों के साथ थोड़ी देर चर्चा की, फिर टीवी देखते देखते सो गए ।
आज 21 मई को उनका जन्मदिन है, वे याद आ गए… अमिट स्मृतियों से निकल कर…
© जय प्रकाश पाण्डेय
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