श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ मुक्तक ☆ ।। यह छोटी सी जिंदगी प्रेम के लिए भी कम है ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
[1]
ज्ञान बुद्धि विनम्रता तेरे आभूषण हैं।
सत्यवादिता प्रभु आस्था तेरे भूषण हैं।।
मत राग द्वेष कुभावना धारण करना।
ईर्ष्या और घृणा कुमति भी दूषण हैं।।
[2]
आत्म विश्वास से खुलती सफल राह है।
सब कुछ संभव यदि जीतने की चाह है।।
व्यवहार कुशलता बनती उन्नति साधक।
बाधक बनती हमारी नफरतऔर डाह है।।
[3]
मत पालो क्रोध प्रतिशोध बन जाता है।
मनुष्य स्वयं जलता औरों को जलाता है।।
प्रतिशोध का अंत पश्चाताप से है होता।
कभी व्यक्ति प्रायश्चित भी नहीं कर पाता है।।
[4]
विचार आदतों से ही चरित्र निर्माण होता है।
इसीसे तुम्हारा व्यक्तित्व चित्र निर्माण होता है।।
तभी बनती तुम्हारी लोगों के दिल में जगह।
गलत राह पर केवल दुष्चरित्र निर्माण होता है।।
[5]
बस छोटी सी जिंदगी प्रेम के लिए भी कम है।
नफरत बन जाती जैसे लोहे की जंग है।।
बदला लेने में बर्बाद नहीं करें इस वक्त को।
तेरा सही रास्ता ही लायेगा सफलता का रंग है।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
मोब – 9897071046, 8218685464