प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध
(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी द्वारा रचित बाल साहित्य ‘बाल गीतिका ‘से एक बाल गीत – “बापू का सपना…” । हमारे प्रबुद्ध पाठकगण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे।)
☆ बाल गीतिका से – “बापू का सपना…” ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆
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बापू का सपना था—भारत में होगा जब अपना राज ।
गाँव-गाँव में हर गरीब के दुख का होगा सही इलाज ॥
कोई न होगा नंगा – भूखा, कोई न तब होगा मोहताज ।
राम राज्य की सुख-सुविधाएँ देगा सबको सफल स्वराज ॥
पर यह क्या बापू गये उनके साथ गये उनके अरमान।
रहा न अब नेताओं को भी उनके उपदेशों का ध्यान ॥
गाँधी कोई भगवान नहीं थे, वे भी थे हमसे इन्सान ।
किन्तु विचारों औ’ कर्मों से वे इतने बन गये महान् ॥
बहुत जरूरी यदि हम सबको देना है उनको सन्मान ।
हम उनका जीवन समझें, करे काम कुछ उन्हीं समान ॥
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© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
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≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈