श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 90 – मनोज के दोहे… ☆
☆
१ अंबुद
उमड़-घुमड़ अंबुद चले, हाथों में जलपान।
प्यासों को पानी पिला, फिर पाया वरदान।।
☆
२ नटखट
नटखट अंबुद खेलते, लुका-छिपी का खेल।
कहीं तृप्त धरती करें, कहीं सुखाते बेल।।
☆
३ प्रार्थना
यही प्रार्थना कर रहे, धरती के इंसान।
जल-वर्षा इतनी करो, धरा न जन हैरान।।
☆
४ चारुता
प्रकृति चारुता से भरी, झूम उठे तालाब।
मेघों ने बौछार कर, खोली कर्म-किताब।।
☆
५ अभिसार
बरसा ऋतु का आगमन,नदियाँ हैं बेताब।
उदधि-प्रेम अभिसार में, उफनातीं सैलाब।।
☆
© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002
मो 94258 62550
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
[…] Source link […]