श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ मुक्तक ☆ ।। तप कर ही सोने सा निखर कर आता है आदमी ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
[1]
बहुत शिद्दत से तुम निभायो अपने किरदार को।
बाहर निकालो अपने भीतर छिपे कलाकार को।।
उम्मीद हकीम सी देती दवा दैवीय शक्ति हमको।
तभी पूरी कर पाते हैं जीवन के हर सरोकार को।।
[2]
हर मुश्किल सहयोग से जरूर सुलझ जायेगी।
जब दोस्त के हाथों में तेरी हथेली उलझ जायेगी।।
हर मुश्किल आसान हो सकती है तेरी कोशिश से।
तू हार जायेगा गर जोशोजनूनआग बुझ जायेगी।।
[3]
संघर्ष कीआंच पर खुद को तपना तपाना पड़ता है।
बिखरना संवरना और खुद को जलाना पड़ता है।।
मजबूर नहीं मजबूत हो के मिलती मंजिल हमको।
संघर्ष भट्टी में खुद तप खरा सोना बनाना पड़ता है।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
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मोब – 9897071046, 8218685464
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈