श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 94 – मनोज के दोहे… ☆
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आजादी
कैसे कुछ इंसान हैं, मचा रखी है लूट।
आजादी के नाम पर,समझें बम्फर छूट।
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उत्कर्ष
योगदान सबका मिला, भारत का उत्कर्ष।
प्रगति और उत्थान से, जन मानस में हर्ष।।
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लोकतंत्र
लोकतंत्र बहुमूल्य यह, समझें इसका मूल्य।
राष्ट्र धर्म के सामने, होता सब कुछ शून्य।।
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भारत
भारत ऐसा देश यह, सदियों रहा गुलाम।
किन्तु ज्ञान विज्ञान से, पाया विश्व मुकाम।।
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तिरंगा
हाथ तिरंगा थामकर, गूँजी जय-जयकार।
राष्ट्र भक्ति सँग एकता, जनमानस का प्यार।।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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