श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता – “जीवन का सच”।)
☆ कविता – जीवन का सच ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
अनकहे शब्दों के बोझ से,
थक जाते हैं वे कभी कभी,
इस तरह उनका खामोश रहना,
समझदारी है या फिर मजबूरी,
एक दिन सपने में उनके कर्म,
उनसे अचानक मिलने पहुंचे,
बोले हद से ज्यादा अच्छे होने,
की कीमत नहीं चुका पाओगे,
इसलिए खुद को थोड़ा अच्छा,
बना लीजिए कुछ लिख डालिए,
महासागर की तरंगें मापने की
बात तो सोचना भी असंभव है,
जीवन सच में अबूझ पहेली है
जीवन में करुणा है खोजिए,
जीवन में शांति महसूस कीजिए
कुछ भी समझ नहीं आता तो
जीवन का श्रृंगार लिख दीजिए,
एक सच्ची बात सुन लीजिए,
मुश्किल नहीं है किसी को भी,
अपना बहुत अपना बनाना,
लेकिन बहुत ही मुश्किल है
किसी को अपना बनाये रखना,
क्योंकि जीवन में अच्छी चीजें
चुरा लीं जातीं हैं आसानी से,
जैसे वे चुरा लेते हैं नम आंखें,
© जय प्रकाश पाण्डेय
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