डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 201 – साहित्य निकुंज ☆
☆ श्री गणेशाय नमः ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
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वाणी में मीरा बसी, कविता में रसखान।
शब्दों के माधुर्य से, है भावों में जान।।
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घूम रहे थे बाग में, सुनी कली की बात।
तुमसे कहना है बहुत, मिलना आधी रात।।
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तुममें दिखता चाँद है, तुम से रोशन प्यार।
बरस रहा है आज तो, तेरा ही शृंगार ।।
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महक आपसे आ रही, धारण किया गुलाब।
निरख निरख़ कर बह रहा, है आपका शबाब।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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