श्री आशिष मुळे

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ दिन-रात # 24 ☆

☆ कविता ☆ “मौत…☆ श्री आशिष मुळे ☆

ए मेरी दिलरुबा, किसी दिन तो मिलोगी

मेरे इश्क की कयामत, कभी तो लाओगी ।

वैसे लोग बहुत डरते है तुझसे

लेकिन इश्क करते है तेरी बहन से ।

 

बहन से बहन कब तक अलग रहेगी

आज नहीं तो कल जरूर मिलेगी ।

शायर हूँ मै, प्यार करता हूँ तुम दोनों से

जानता हूँ कीमत दोनों की, तुम रूठो ना मुझसे ।

 

अगर समय पे तुम ना आओ,

 तो तुम्हारी बहन बेकाबू होती है

तुम्हारे हवाले मुझे, वही तो सौंपती है ।

वैसे जुनून पैदा तो, वो करती है

मगर समझदार तो, तुम्हारी याद बनाती है ।

 

जो कमिया बदली नहीं जाती

उन्हें समाप्त तुम ही करती हो ।

तुम्हारी बहन की गलतियां

माफ़ तो तुम ही करती हो ।

 

तुम दोनों जरूरी हो

असल मे जीने के लिए

वक्त पर आ जाना

मेरी हयात अमीर बनाने के लिए ।

© श्री आशिष मुळे

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments