श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है आपके “स्थितियों से समन्वय कर…”।)
☆ तन्मय साहित्य #209 ☆
☆ स्थितियों से समन्वय कर… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆
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बन्द हो गया हूँ
अपने आप में
वैचारिक आवाजाही
निरन्तर चलने के बावजूद
रुक सा गया है
प्रवाह जीवन का,
संकल्प-विकल्प
हो गए प्राण-हीन
भाने लगी उदासीन चुप्पियाँ
एकान्त की
बेचैनियाँ मौन संवाद में व्यस्त,
सूखते जा रहा
उम्मीदों का सरोवर
आशा,विश्वास,उम्मीदें
ये सब गहरे में कहीं
खो गये हैं
बीज हताशा के
मन में बो गये हैं
बावजूद इन सब के
अब भी रोज-रोज
हर पल सुनाई देती है
साँसों में एक मधुर गूँज
कहती, धीरे-धीरे
स्थितियों से समन्वय कर
थोड़ा खुश-खुश दिख
परिवर्तित समय के साथ
जिंदगी को जीना सीख।
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© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश
मो. 9893266014
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈