डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे…।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 211 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे … ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
(प्रदत्त शब्दों पर दोहा सृजन)
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☆ कंबल ☆
तेरे मेरे प्रेम की, कंबल ही बस याद।
सदा सलामत यह रहे,यही करें फरियाद।।
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☆ रजाई ☆
प्रेम रजाई ओढ़कर,बैठी है मनप्रीत।
बाट पिया की देखती,निभा रही है रीत।।
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☆ शीतलहर ☆
शीत लहर का बढ़ रहा,है भयंकर प्रकोप।
कंबल स्वेटर साथ है,नहीं ठंड का कोप।।
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☆ गुनगुनी ☆
धूप गुनगुनी लग रही,ढक लो अपना अंग।
राहत कुछ तो मिल रही,जमा धूप का रंग।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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