श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# ठंड और कोहरा #”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 162 ☆

☆ # ठंड और कोहरा #

यह घना कोहरा

हर तरफ छा गया है

सर्दियों का मौसम

आ गया है

गरम कपड़ों में

झिलमिलाते हैं लोग

सब को यह मौसम

भा गया है

 

महिलाएं डिजाइनदार

स्वेटर बुन रही हैं  

रंग बिरंगी, लेटेस्ट क्राफ्ट

चुन रही हैं

मन ही मन

उन्माद में डूबीं हुई

पति को रिझाने के

सपने बुन रही हैं

 

गार्डन में सुबह सुबह की

सैर में

कंपकंपाती ठंड से

बचने के फेर में

लुभावने रंगीन

स्वेटर, कोट, शाल, टोप

फिरते हैं  

थोड़ी थोड़ी देर मैं

 

ठंड और कोहरे का

सर्वत्र कहर है

बर्फीली हवाओं से

शीत लहर है

अलाव ताप रहे

सुबह से शाम तक

क्या गांव, क्या कस्बा

क्या शहर है ?

 

जीवन के बिसात पर भी

छाया कोहरा है

हर शख्स शतरंज का

एक मोहरा है

गरम शालों में

मुंह छुपाए हुए

कई शातिर हैं

जिनका चरित्र

दोहरा है /

© श्याम खापर्डे

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

5 1 vote
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments