श्री राकेश कुमार

(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ  की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” ज प्रस्तुत है आलेख की शृंखला – पालतू पालक” की अगली कड़ी।)

☆ आलेख # 67 ☆ देश-परदेश – पालतू पालक ☆ श्री राकेश कुमार ☆

उपरोक्त फोटो घर के निकट की एक दुकान का है। दुकानदार से बातचीत हुई की आपने पालतू और बच्चों से संबंधित दोनों के लिए कैसे जुगल बंदी कर दी। उसने बताया कि जिन परिवारों में बच्चे नहीं है, वे श्वान या बिल्ली पाल लेते हैं। पालतू पालक और बच्चे वाले दोनों ही हमारे ग्राहक हैं। पूर्व में सिर्फ श्वान का चलन था, लेकिन उसका क्रय मूल्य अधिक होने से बिल्ली पालन के चलन में तेज़ी आ गई हैं।

कुछ दशक पूर्व तक बिल्लियां दीवार फांद कर लोगों के घर में रखे हुए दूध में मुंह मार लिया करती थी। जब से ये फ्रिज चल पड़े है,  उनको पेट भरना कठिन हो गया और था। इसलिए बिल्लियां कम हो गई हैं। अब कुछ वर्षों से इनको पालतू बना कर घर में पाला जाता हैं। श्वान तो सदियों से स्वामी भक्त के टाइटल से भी अपनी पहचान बनाए हुए हैं।

जोधपुर शहर में कल ही दो बच्चों का ट्रेन के नीचे आ जाने  से दुखद निधन हो गया,  क्योंकि चार पालतू जर्मन शेफर्ड नामक प्रजाति के श्वान बच्चों को काटने लगे तो बच्चे रेल लाइन की तरफ बच कर भाग गए जिससे ये दुर्घटना हो गई। श्वान मालिक का कहना है,  इसमें श्वानो की कोई गलती नहीं हैं। बच्चों को रेल पटरी पार करते समय ट्रेन को देखना चाहिए था। दिल्ली शहर में भी खूंखार प्रजाति पिट बुल के श्वान ने एक बुजर्ग से उसके छोटे से पोते को छीन कर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया है।

ऐसा व्यवहार श्वान क्यों कर रहे है, कुछ विशेषज्ञों का मत है, उनकी मूलभूत सुविधाओं जैसे की बिजली के खंभों में कमी होना भी हो सकता है। आजकल बिजली की लाइन भूमिगत हो रही हैं।

कुछ पालक अपने पालतू के लालन पालन और तीमारदारी के लिए तन मन और धन से लग जाते हैं। प्राणी सेवा एक अच्छा कार्य हैं। परंतु कभी-कभी तो ये पालक अपने परिजनों का उतना ख्याल नहीं रखते हैं, जितना वे अपने पालतू का रखते हैं। ये भी हो सकता है, वे  पालतू के पूर्व जन्म के कर्म होंगे, जिनकी वजह से पालतू योनि में जन्म लेकर भी इतनी सुख सुविधा प्राप्त हुई।

© श्री राकेश कुमार

संपर्क – B 508 शिवज्ञान एनक्लेव, निर्माण नगर AB ब्लॉक, जयपुर-302 019 (राजस्थान)

मोबाईल 9920832096

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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