श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का हिन्दी बाल -साहित्य एवं हिन्दी साहित्य की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी की लघुकथाएं ” के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं। आज प्रस्तुत है उनकी एक व्यंग्यात्मक किन्तु शिक्षाप्रद लघुकथा “वापसी” । )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी की लघुकथाएं – #34☆
☆ लघुकथा – वापसी ☆
” यमदूत ! तुम किस ओमप्रकाश को ले आए ? यह तो हमारी सूची में नहीं है. इसे तो अभी माता-पिता की सेवा करना है , भाई को पढाना है. भूखे को खाना खिलाना है और तो और इसे अभी अपना मानव धर्म निभाना है .”
” जो आज्ञा , यमराज.”
” जाओ ! इसे धरती पर छोड़ आओ और उस दुष्ट ओमप्रकाश को ले आओ. जो पृथ्वी के साथ-साथ माता-पिता के लिए बोझ बना हुआ है .”
यमदूत नरक का बोझ बढ़ाने के लिए ओमप्रकाश को खोजने धरती पर चल दिया.
© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”