श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ “श्री हंस” साहित्य # 98 ☆
☆ मुक्तक ☆ ।। हर धड़कन हिंदी, हिन्द, हिंदुस्तान चाहिये।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
[1]
हर रंग से हमें रंगीन हिंदुस्तान चाहिये।
खिलते बाग बहार सा गुलिस्तान चाहिये।।
चाहिये विश्व में नाम ऊँचा भारत का।
विश्व गुरु भारत का ऊँचा सम्मान चाहिये।।
[2]
मंगल चांद को छूता भारत महान चाहिये।
अजेयअखंड विजेता सा हिंदुस्तान चाहिये।।
दुश्मन नज़र उठा कर देख भी ना सके।
हर शत्रु का हमको काम तमाम चाहिये।।
[3]
हमें गले मिलते राम और रहमान चाहिये।
एक दूजे के लिए प्रणाम सलाम चाहिये।।
चाहिये हमें मिल कर रहते हुए सब लोग।
एक दूजे के लिए दिलों में एतराम चाहिये।।
[4]
एक सौ पैंतीस करोड़ सुखी अवाम चाहिये।
कश्मीर कन्याकुमारी प्रेम का पैगाम चाहिये।।
चाहिये विविधता में एकता शक्ति दर्शन।
अपने देश का सम्पूर्ण संसार में यशोगान चाहिये।।
[5]
पुरातन संस्कार मूल्यों का गुणगान चाहिये।
हर भारतवासी चेहरे पर गर्व मुस्कान चाहिये।।
चाहिये गौरव अभिमान अपने देश भारत पर।
हर धड़कन हिन्दी, हिन्द का ही पैगाम चाहिये।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
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