श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 114 – मनोज के दोहे… ☆
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रामलला की आरती, करता भारत वर्ष।
मंदिर फिर से सज गया, जन मानस में हर्ष।।
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मन मंदिर में रम गए, श्याम वर्ण श्री राम।
शायद कारागार से, मुक्त दिखें घन श्याम।।
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प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम, बना अयोध्या धाम।
सूर्यवंश के मणि मुकुट, रघुनंदन श्री राम।।
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आल्हादित सरयू नदी, लौटा स्वर्णिमकाल।
सजा अयोध्या नगर है, उन्नत संस्कृति भाल।।
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हर्षोल्लास का पल अब, लाया है चौबीस।
देश तरक्की कर रहा, मिले कौशलाधीश।।
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धनुषबाण लेकर चले, निर्भय सीता-राम।
सरयू तट पर सज गया, राम अयोध्या धाम।।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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