श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# दिल और दिमाग #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 163 ☆
☆ # दिल और दिमाग # ☆
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दिल और दिमाग में
आजकल द्वंद
चलता रहता है
दिल कुछ और चाहता है
दिमाग कहीं
और बहता है
दोनों अजीब सी
कशमकश में हैं
दोनों असमंजस में हैं
दोनों अपने अपने
इरादों पर अटल है
दोनों निष्पाप, निश्छल है
दोनों एक ही विषय पर
अलग अलग राय
रखतें हैं
दोनों इसी द्वंद में
दिन-रात
लगे रहते हैं
दिल,
आजकल
हवा के
रूख को देखकर
अपनी जिद को
दूर फेंककर
दिमाग का
गुलाम हो गया है
अपनी अस्मिता
खो गया है
और
दिमाग
अपनी कामयाबी पर
जश्न मना रहा है
फूला नहीं समा रहा है
और
दिल की गुलामी पर
ठहाके लगा रहा है /
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© श्याम खापर्डे
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