श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण रचना “वसंत पंचमी…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 117 – वसंत पंचमी… ☆
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माघ माह की पंचमी, शुक्ल पक्ष तिथि आज।
वीणा वादिनि शारदे, रखती सिर पर ताज।।
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विद्या की शुभ दायिनी, करती तम का नाश।
ज्ञान चक्षु को खोलती, काटे भ्रम का पाश।।
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ऋतु वसंत का आगमन, मन में भरे उमंग।
धरा मुदित हो नाचती, नेह प्रेम हुड़दंग।।
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खिलें पुष्प हर डाल पर, भ्रमर करें रसपान।
तितली झूमें बाग में, करते कवि ऋतु गान।।
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पीत वसन पहने धरा, लाल अधर कचनार।
शृंगारित दुल्हन चली, ऋतु वसंत गलहार ।।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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