श्री राकेश कुमार

(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ  की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” ज प्रस्तुत है आलेख की शृंखला – “देश -परदेश ” की अगली कड़ी।)

☆ आलेख # 73 ☆ देश-परदेश – मौसम के रंग ☆ श्री राकेश कुमार ☆

गिरगिट को रंग बदलने में हमेशा प्रथम श्रेणी में गिना जाता था। कुछ वर्षों से भारतीय राजनेताओं ने गिरगिट से उसका ये खिताब अपने नाम कर लिया हैं।

मौसम भी अपने रंग दिखाने में अग्रणी रहता हैं। मानव जाति ने प्रकृति से पंगा ले लिया तो प्रकृति भी मौसम के माध्यम से अपने रंग बदलने लगी हैं।

अब पहले जैसे मौसम नहीं रहता है, ऐसा विगत कुछ वर्षों से हमारे सयाने सुनाते आ रहे हैं। अब प्रकृति की संपदा वनस्पति, जल और नभ में विष भरेंगे तो प्रकृति भी बदला तो लेती रहेगी।

देसी हिसाब से होली तक ठंडक रहती है, लेकिन मौसम को मानने का  हमारा पैमाना अलग अलग रहता हैं। गीजर के गर्म पानी का उपयोग तो अभी करते रहेंगे, लेकिन पंखे, एसी जैसे नकली ठंडक देने वाले यंत्रों का प्रयोग भी आरंभ कर चुके हैं। घर में गीजर सुविधा बंद करने पर ही पंखे चालू होने चाइए।

आज हमारे पड़ोसी शर्मा जी डॉक्टर के यहां से दवा लेकर तीन घंटे समय लगा कर आए, डॉक्टर और केमिस्ट का तो सीजन चल रहा हैं। बच्चों की शिकयत करते हुए बोले खाने के टेबल पर खाते हुए बच्चे पंखा चला देते है, उसी की वजह से आज समय, स्वास्थ्य और धन की हानि हुई।

शर्मा जी, चर्चा करते हुए  पूछने लगे इन सब से कैसे बचना चाइए। हमे अपने पिताश्री जी की याद आ गई, वो प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त छूटी के दिन घर के एक मात्र पंखे पर पुरानी अख़बार से लपेट कर उसके उपयोग को बाधित कर दिया करते थे। 13 अप्रैल (वैशाखी) के दिन अखबार को पंखों से हटा कर गर्मी  की घोषणा की जाती थी।

हमारे एक परिचित ने कमरे में लगे हुए एसी के ऊपर भी कपड़े के कवर से ढांक दिया है, ऐसे में एसी भी सुरक्षित और उपयोग भी बंद हो गया। स्वास्थ्य और बिजली दोनो की बचत भी हो गई।

अनुशासन/ नियम का पालन करने के लिए कुछ सख्त कदम लेने पड़ते हैं।

“भय बिनु होय ना प्रीत”

© श्री राकेश कुमार

संपर्क – B 508 शिवज्ञान एनक्लेव, निर्माण नगर AB ब्लॉक, जयपुर-302 019 (राजस्थान)

मोबाईल 9920832096

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments