श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है होली पर एक व्यंग्य कविता “मृत्युपूर्व शवयात्रा की जुगाड़…” ।)
☆ तन्मय साहित्य #222 ☆
☆ मृत्युपूर्व शवयात्रा की जुगाड़… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆
(होली पर एक व्यंग्य कविता)
☆
मृत्यु पूर्व, खुद की
शवयात्रा पर करना तैयारी है
बाद मरण के भी तो
भीड़ जुटाना जिम्मेदारी है।
*
जीवन भर एकाकी रह कर
क्या पाया क्या खोया है
हमें पता है, कलुषित मन से
हमने क्या-क्या बोया है,
अंतिम बेला के पहले
करना कुछ कारगुजारी है।
मृत्युपूर्व खुद की शवयात्रा
पर करना………
*
तब, तन-मन में खूब अकड़ थी
पकड़ रसुखदारों में थी
बुद्धि, ज्ञान, साहित्य सृजन
प्रवचन, भाषण नारों में थी,
शिथिल हुआ तन, बोझिल मन
इन्द्रियाँ स्वयं से हारी है।
मृत्युपूर्व…….
*
होता नाम निमंत्रण पत्रक में
“विशिष्ट”, तब जाते थे
नव सिखिए, छोटे-मोटे तो
पास फटक नहीं पाते थे,
रौबदाब तेवर थे तब
अब बची हुई लाचारी है।
मृत्युपूर्व……
*
अब मौखिक सी मिले सूचना
या अखबारों में पढ़ कर
आयोजन कोई न छोड़ते
रहें उपस्थित बढ़-चढ़ कर,
कब क्या हो जाये जीवन में
हमने बात विचारी है।
मृत्युपूर्व…….
*
हँसते-मुस्काते विनम्र हो
अब, सब से बतियाते हैं
मन-बेमन से, छोटे-बड़े
सभी को गले लगाते हैं,
हमें पता है,भीड़ जुटाने में
अपनी अय्यारी है।
मृत्युपूर्व…….
*
मालाएँ पहनाओ हमको
चारण, वंदन गान करो
शाल और श्रीफल से मेरा
मिलकर तुम सम्मान करो,
कीमत ले लेना इनकी
चुपचाप हमीं से सारी है।
मृत्युपूर्व…….
*
हुआ हमें विश्वास कि
अच्छी-खासी भीड़ रहेगी तब
मिशन सफल हो गया,खुशी है
रामनाम सत होगा जब,
जनसैलाब दर्शनीय, इतना
मर कर भी सुखकारी है।
मृत्युपूर्व…….
*
हम न रहेंगे, तब भी
शवयात्रा में अनुगामी सारे
राम नाम है सत्य,
साथ, गूँजेंगे अपने भी नारे,
जीतेजी उस सुखद दृश्य की
हम पर चढ़ी खुमारी है
मृत्युपूर्व……………
*
शव शैया से देख भीड़
तब मन हर्षित होगा भारी
पद्म सिरी सम्मान प्राप्ति की
कर ली, पूरी तैयारी,
कहो-सुनो कुछ भी,पर यही
भावना सुखद हमारी है।।
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© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश
मो. 9893266014
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈