श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है । प्रस्तुत है साप्ताहिक स्तम्भ की अगली कड़ी में उनका एक भावपूर्ण कविता “चौगड्डे के सिग्नल से ”। आप प्रत्येक सोमवार उनके साहित्य की विभिन्न विधाओं की रचना पढ़ सकेंगे।)
☆ जय प्रकाश पाण्डेय का सार्थक साहित्य # 35 ☆
☆ कविता – चौगड्डे के सिग्नल से ☆
ओलम्पिया के सामने
पोल पर बैठा कौआ
अपने छोटे बच्चे को
दाना चुगने का गुर
बार बार सिखा रहा है
नीचे से करोड़ों की
कारें भी गुजर रहीं हैं
दिन डूबने के पहले
ऊपर से उड़नखटोलों
की भागदौड़ मची है
ओलम्पिया के चौगड्डे में
खूब हबड़ धबड़ मची है
ऊपरी मंजिल से लोग
झांक झांक कर कौए
को दाना न दे पाने का
खूब अफसोस कर रहे हैं
एक नये जमाने की मां
चोंच में दाना डालने के
तरीके भी सीख रही है
जीवन इतना सुंदर है
देखकर खुश हो रही है
* चौगड्डे ->चौराहे
© जय प्रकाश पाण्डेय