डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के मुक्तक।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 229 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के मुक्तक ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
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हवाओं का ये झोंका तो हमें जीना सीखाता है।
थपेड़े जो लगे जीवन में वो सब कुछ बताता है।
हमें महसूस होता है ये जीवन के निराले रंग –
हवा का रूख निराला है वो ही हमको जताता है।
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चुनावी रंग है अब तो हवा वैसी ही बहती है।
किसे हमको तो चुनना है हवा वैसी बहकती है।
नेताओं का परचम तो हरपल रंग ही बदले है-
समझना है हमें अब तो हवा हमको जो कहती है।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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