श्री राकेश कुमार
(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” आज प्रस्तुत है आलेख की शृंखला – “देश -परदेश ” की अगली कड़ी।)
☆ आलेख # 84 ☆ देश-परदेश – मुम्बई मतलब बॉलीवुड ☆ श्री राकेश कुमार ☆
जब भी मुम्बई की बात होती है, तो हमारा मीडिया बॉलीवुड को भी उसके साथ फेविकोल से जोड़ देता हैं। बीस मई को वहां भी आम चुनाव था।
टीवी चैनल ने इस मौके को कवर करने के लिए अपने अपने स्टूडियों में प्रातः आठ बजे से ही विशेषज्ञों की पूरी टीम बैठा दी थी उनके संवाददाता मुम्बई के फिल्मी बाहुल क्षेत्रों में मुस्तैदी से तैनात कर दिए गए थे।
हमारे जैसे फुरसतिया भी सुबह का नाश्ता छोड़ मोबाइल के न्यूज चैनल पर इंतजार करने लगे कि कौन कौन अभिनेता अपने मताधिकार का प्रयोग करने आयेंगे?
एक टीवी चैनल दर्शकों को मुफ्त में हेलीकॉप्टर यात्रा का प्रलोभन भी दे रहा हैं। लालच में ना पड़े। वैसे, ईरान में हाल ही में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना का शिकार हो गया हैं।
आरंभ में सुश्री जानवी कपूर जी सज धज कर पधारी, तो टीवी वाले कहने लगे कितनी सुबह सुबह नहा धोकर फिल्मी लोग वोट दे रहे हैं। लाइव चैनल पर किसी ने लिखा वो अभी रात्रि क्लब से सीधा वोट डालने आई हैं।
फिर फरहान अख्तर अपनी बहन जोया अख्तर और पुरानी वाली मम्मी जी के साथ वोट देने आए हैं। पिता श्री जावेद अख्तर जोड़ों के दर्द के कारण प्रातः नही आ सके, दोपहर बाद नई वाली पत्नी के साथ वोट डाल कर गए
हिंदू धर्म को मानने वाले, और दो दो विवाह कर चुके वृद्ध धर्मेंद्र भी दूसरी पत्नी के साथ वोट डालकर क्या संदेश दे रहे थे, युवाओं को मेरे जैसे बनो!
अक्षय कुमार पान मसाला वाले भी जल्दी पहुंच गए थे। मीडिया बार बार जोर देकर कह रहा था, देखो बड़े बड़े फिल्मी दिग्गज प्रातः ही वोट दे रहे है, सभी नागरिक इनको फॉलो कर जल्दी वोट देवें।
फिल्मी चेहरे जो हमेशा अपना संपूर्ण जीवन मुखोटे लगा कर जीते है, क्या सीख देंगे, जनमानस को ? पान मसाला खाओ, ऑनलाइन रमी खेलो या मिलावटी जानलेवा मसालों का सेवन करों।
“कर लो दुनिया मुट्ठी में” का नारा देने वाले के अभागे पुत्र भी, जोकि स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन मरीन लाइंस पर दौड़ते हुए दिखाई देते है, भी दौड़ते हुए प्रातः काल ही वोट कर चले गए।
चंद पैसों की खातिर, जनता के विश्वास को धोखा देकर आर्थिक, मानसिक और शारीरिक हानि ही तो पहुंचा रहें हैं, ये फिल्मी दुनिया के so called सितारे।
के.चू.आ. भी प्रयास रत है, गिरते हुए मतदान प्रतिशत में वृद्धि की जा सके। इस बार की चुनाव तिथियां अधिकतर सप्ताह के आरंभ या अंत में रखकर जनता को घूमने का मौका देना, कहीं मतदान के कम प्रतिशत का ठीकरा इसी कारण पर तो नहीं फोड़ा जायेगा।
© श्री राकेश कुमार
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