श्री राकेश कुमार
(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” आज प्रस्तुत है आलेख की शृंखला – “देश -परदेश ” की अगली कड़ी।)
☆ आलेख # 85 ☆ देश-परदेश – बॉम्बे शहर हादसों का शहर ☆ श्री राकेश कुमार ☆
आज प्रातः ये गीत गुनगुनाते हुए, स्नानगृह से बाहर आए, तो श्रीमती जी ने प्रश्न दाग दिया, आज प्रभु के भजन के स्थान पर ये घटिया गाना कैसे याद आ गया ?
ज्ञानी लोग सही कहते है, जैसा खाओगे या जैसा मन में विचार करेगें, वैसा ही आपका मन बन जायेगा।कुछ दिनों से हादसों की सुनामी आई हुई है।टीवी, सोशल मीडिया भी हादसों की चर्चा कर रहें हैं।तो हमारा मन भी तो प्रभावित होगा।
भयंकर गर्मी, ऊपर से चुनावों की गर्मी, सोने पर सुहागा।पुणे, राजकोट घटनाओं की आग अभी भी सुलग रही हैं। दिल वालों की दिल्ली भला क्यों पीछे रहेगी, वहां तो स्वास्थ्य प्रहरी ही मौत का कुआं बना कर खुला आमंत्रण दे रहें हैं। गर्मी के मौसम में आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती है।
सड़क हादसे सदा बहार रहते है, कैसा भी मौसम हो, ये तो ऑल सीजन वाली श्रेणी में रहते हैं। वाहन चालक को हमारे यहां उचित ध्यान नहीं दिया जाता हैं। काम के घंटे हो या उनके विश्राम, भोजन आदि का स्तर निम्न श्रेणी में आता हैं।
वाणिज्यिक वाहन चालकों को अधिकतम आठ घंटे ही कार्य करना चाइए। प्रातः वो जब भी गाड़ी को स्टार्ट करें, उसी समय से आठ घंटे का काउंट डाउन आरंभ हो जाना चाहिए । जीपीएस मॉड्यूल, कार्यप्रणाली जैसा कि विदेशों में प्रचलित है, को लागू करना पड़ेगा।
ओवर लोडिंग का श्रीगणेश बाइक पर कम से कम तीन लोग और कार में सात से आठ व्यक्ति बैठ कर देश की विदेशी मुद्रा की बचत करने में वर्षों से अनवरत सहयोग दे रहे हैं। सुरक्षा पेटी, ट्रैफिक नियम का पालन आदि का रिवाज़ हमारे देश में है, ही नहीं।
एक खूबसूरत सी फिल्म है ” खूबसूरत” उसका एक गीत बला सी खूबसूरत अदाकारा सुश्री रेखा पर फिल्माया गया था, गीत के बोल ” सारे नियम तोड़ दो” को हमारे देश के अधिकतर लोग मान देते हैं।
हर हादसे के बाद एक जांच समिति बनेगी, कुछ छोटे लोग सस्पेंड होंगे, समिति की रिपोर्ट गुमनाम हो जाती हैं।ये ही अंतिम सत्य हैं।
© श्री राकेश कुमार
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