श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “कलयुग में न्यारी है यारी। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 130 – कलयुग में न्यारी है यारी… ☆

 

कलयुग में न्यारी है यारी।

अंदर से है चले कटारी।।

 *

त्रेतायुग के राम राज्य पर,

कलयुग की जनता बलिहारी।

 *

राजनीति में चोर-सिपाही,

खेलम-खेला बारी-बारी।

 *

विश्वासों पर घात लगाकर,

चला रहे यारी पर आरी।

 *

जनता ही राजा को चुनती,

नहीं समझती जुम्मेदारी।।

 *

मतदाता मतदान न करते,

जीतें-हारें, खद्दर-धारी।

 *

मतदानों का प्रतिशत गिरता,

यह विडंबना सब पर भारी ।

 

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

15/5/24

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_printPrint
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments