श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “कलयुग में न्यारी है यारी”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 130 – कलयुग में न्यारी है यारी… ☆
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कलयुग में न्यारी है यारी।
अंदर से है चले कटारी।।
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त्रेतायुग के राम राज्य पर,
कलयुग की जनता बलिहारी।
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राजनीति में चोर-सिपाही,
खेलम-खेला बारी-बारी।
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विश्वासों पर घात लगाकर,
चला रहे यारी पर आरी।
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जनता ही राजा को चुनती,
नहीं समझती जुम्मेदारी।।
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मतदाता मतदान न करते,
जीतें-हारें, खद्दर-धारी।
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मतदानों का प्रतिशत गिरता,
यह विडंबना सब पर भारी ।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
15/5/24
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