सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
(संस्कारधानी जबलपुर की सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ ‘जी सेवा निवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, डिविजनल विजिलेंस कमेटी जबलपुर की पूर्व चेअर पर्सन हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में पंचतंत्र में नारी, पंख पसारे पंछी, निहिरा (गीत संग्रह) एहसास के मोती, ख़याल -ए-मीना (ग़ज़ल संग्रह), मीना के सवैया (सवैया संग्रह) नैनिका (कुण्डलिया संग्रह) हैं। आप कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित हैं। आप प्रत्येक शुक्रवार सुश्री मीना भट्ट सिद्धार्थ जी की अप्रतिम रचनाओं को उनके साप्ताहिक स्तम्भ – रचना संसार के अंतर्गत आत्मसात कर सकेंगे। आज इस कड़ी में प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम रचना – नवगीत – व्याकुल प्यासे हैं चातक…।
रचना संसार # 10 – नवगीत – व्याकुल प्यासे हैं चातक… ☆ सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
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संत्रास ही संत्रास है,
वक्ष पीटें हम खड़े।
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टूट कर बिखरा हृदय है,
ठौर कोई अब कहाँ।
अश्रु झरते हैं नयन से,
मात्र मातम है यहाँ।।
सूखे नातों के बल पर,
किससे कौन अब लड़े।
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भाग्य को शनि-ग्रह लगा है,
व्यथा कथा कौन कहे।
शकुनि करें गुप्त मंत्रणा,
पीर कितनी अब सहे।।
भरा स्वार्थ से जग सारा,
नयन लज्जा से गड़े।
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ग्रहण लगा है दिनकर को,
कपटी उजाला छले।
शक्ति आसुरी के कारण,
पत्थर मोम बन गले।।
व्याकुल प्यासे हैं चातक,
मगर कितने खग अड़े।।
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© सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’
(सेवा निवृत्त जिला न्यायाधीश)
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