(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ” में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) से सेवानिवृत्त हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। आपको वैचारिक व सामाजिक लेखन हेतु अनेक पुरस्कारो से सम्मानित किया जा चुका है।आज प्रस्तुत है एक आलेख – उधमसिंग और भगत सिंह में अद्भुत साम्य।
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 288 ☆
आलेख – उधमसिंग और भगत सिंह में अद्भुत साम्य
भगत सिंह तथा राम प्रसाद बिस्मिल से उधमसिंह बहुत प्रेरित थे. देशभक्ति के तराने गाना उन्हें बहुत अच्छा लगता था. उधमसिंग और भगत सिंह के जीवन में अद्भुत साम्य था. क्रांति का जो कार्य देश में भगत सिंह कर रहे थे उधमसिंग देश से बाहर वही काम कर रहे थे. भगत सिंह से उनकी पहली मुलाकात लाहौर जेल में हुई थी. दोनों क्रांतिकारियों की कहानी में बहुत दिलचस्प समानताएं हैं. दोनों ही पंजाब से थे. दोनों ही नास्तिक थे. उधमसिंग और भगत सिंह दोनों ही हिंदू-मुस्लिम एकता के पक्षधर थे. दोनों की जिंदगी की दिशा तय करने में जलियांवाला बाग कांड की बड़ी भूमिका रही. दोनों को लगभग एक जैसे मामले में सजा हुई. जहाँ स्काट की जगह भगत सिंह ने साण्डर्स पर सरे राह गोली चलाई वहीं उधमसिंह को जनरल डायर की जगह ड्वायर को निशाना बनाना पड़ा , क्योकि डायर की पहले ही मौत हो चुकी थी. भगत सिंह की तरह उधमसिंह ने भी फांसी से पहले कोई धार्मिक ग्रंथ पढ़ने से इनकार कर दिया था. उधमसिंह भी सर्व धर्म समभाव में यकीन करते थे. इसीलिए उधमसिंह अपना नाम मोहम्मद आज़ाद सिंह लिखा करते थे. उन्होंने यह नाम अपनी कलाई पर भी गुदवा लिया था.इतिहासकार प्रोफेसर चमनलाल कहते हैं, ”उधम सिंह बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे. उन पर भगत सिंह और उनसे जुड़े आंदोलन का बहुत प्रभाव था. उम्र में वे भगत सिंह से बड़े थे किन्तु वे क्रांति के वैचारिक मंच पर सदैव भगत सिंह को स्वयं से ज्यादा परिपक्व मानते थे. उधम सिंह भगत सिंह की तरह लेखक नहीं थे. रिकॉर्ड पर उनके पत्र ज़्यादातर व्यक्तिगत स्तर पर लिखे गए थे लेकिन कुछ पत्रों में राजनीतिक मामलों का भी ज़िक्र मिलता है. उधम सिंह दृढ़ता से बोलते थे. अदालत में उनके भाषण भगत सिंह की तर्ज पर होते थे. जब उधमसिंह पर माइकल ओ डायर की हत्या के अभियोग का मुकदमा चला तो उन्होने बहुत गंभीरता और ढ़ृड़ता से अपनी बात रखी थी. उन्होने कहा था टेल पीपल आई वॉज़ अ रिवॉल्यूशनरी.
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© विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’
म प्र साहित्य अकादमी से सम्मानित वरिष्ठ व्यंग्यकार
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