स्व. डॉ. राजकुमार तिवारी “सुमित्र”
(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर डॉ. राजकुमार “सुमित्र” जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया। वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणास्रोत हैं। आज प्रस्तुत हैं आपका भावप्रवण कविता – कथा क्रम (स्वगत)…।)
साप्ताहिक स्तम्भ – लेखनी सुमित्र की # 196 – कथा क्रम (स्वगत)…
(नारी, नदी या पाषाणी हो माधवी (कथा काव्य) से )
क्रमशः आगे…
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सहवास
वह
श्यामवर्ण अश्व क्या
संपूर्ण राज्य भी
कर देगा
न्योछावर।
(ओ। ययाति
ओ, बेटी बिचवा
यह सब कहते
तेरी जिव्हा
जल क्यों न गई।)
समर्पण हेतु
राजसभा में लाई गई – माधवी।
माधवी की
सौन्दर्य प्रभा ने
मुग्ध और
चकित कर दिया
गालव और गरुड़ को ।
माधवी ने
प्रणाम किया
गालव और गरुड़ को
तदनंतर
प्रणाम कर पिता की
कहा-
आज्ञा पिताश्री |
रुद्र कंठ ययाति बोले
बेटी
मैंने तुम्हें
सौंप दिया है
ऋषि गालव को।
क्रमशः आगे —
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© डॉ राजकुमार “सुमित्र”
साभार : डॉ भावना शुक्ल
112 सर्राफा वार्ड, सिटी कोतवाली के पीछे चुन्नीलाल का बाड़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈