श्रीमती सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’
(संस्कारधानी जबलपुर की श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’ जी की लघुकथाओं, कविता /गीत का अपना संसार है। साप्ताहिक स्तम्भ – श्रीमति सिद्धेश्वरी जी का साहित्य शृंखला में आज प्रस्तुत है सामाजिक विमर्श पर आधारित विचारणीय लघुकथा “ब्रम्ह कमल”।)
☆ श्रीमति सिद्धेश्वरी जी का साहित्य # 197 ☆
🌻 लघु कथा 🌻 ब्रम्ह कमल 🌻
भोर होते ही श्वेत दमकता मनमोहक हरी लताओं के बीच देवी प्रसाद – माया जी के यहाँ बगीचे में ब्रम्ह कमल खिला।
चेहरे पर असीम शांति, मन उत्साह उमंग से भरपूर कि आज कुछ शुभ संदेश मिलेगा।
कांपते हाथों से, मोबाइल ले दोनों को जैसा बना कई बार तस्वीरें खींचे और, बेटा – बेटी को शेयर किया।
जो दूर परदेश अपने – अपने परिवारों के साथ रहते थे।
लिखा – – ‘बच्चों आज हमारे आँगन में ब्रम्ह कमल खिला। तुम सब भी होते तो देखते। बड़े ही सौभाग्य से ये पुष्प खिलता है।’
बिटिया रानी ने तो मुस्कुराते ईमोजी बनाकर भेज दिया। परन्तु बेटा जो कभी फोन में बात भी करना पसंद नही करता, आज मेसेज लिखा–“आप क्या समझते हैं, तस्वीर को सब को दिखाऊँ। यहाँ इससे भी कई प्रकार के फ्लावर मैने अपने रुम में सजा कर रखा है। लोटस दिखाकर आप मुझसे लौटने की उम्मीद मत करना।बेहतर होगा आप जितनी जल्दी हो सके ये बातें समझ जायें।”
पिता जी रिटायर्ड परसन थे। आँखों में अश्रुं दबाते, ऊँगली मोबाइल पर चल पड़ी – – ‘सुना था ब्रम्ह कमल खिलने पर कुछ शुभ संदेश मिलता है। Thanks to God! !’ 🙏🙏👍
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© श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈