श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव
(संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं अग्रज साहित्यकार श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव जी के गीत, नवगीत एवं अनुगीत अपनी मौलिकता के लिए सुप्रसिद्ध हैं। आप प्रत्येक बुधवार को साप्ताहिक स्तम्भ “जय प्रकाश के नवगीत ” के अंतर्गत नवगीत आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण एवं विचारणीय नवगीत “पहचान…” ।)
जय प्रकाश के नवगीत # 60 ☆ पहचान… ☆ श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव ☆
चिट्ठियाँ अब
डाक से आती नहीं
मौन पीती
जी रही अभिव्यक्तियाँ ।
दौर है मोबाइलों का
एस एम एस बन गए संदेश
सूचनाओं तक हुए सीमित
जान पाते नहीं मन के क्लेश
बात करते
छलकती आँखें
पसर जाती
होंठों पर हैं चुप्पियाँ ।
उँगलियों से नेट पर
कटते सुबह से शाम तक दिन
उम्र के सिमकार्ड पर नचती
ज़िंदगी रिंगटोन सी पल-छिन
आदमी का
नाम इक नंबर
है यही
पहचान की मजबूरियाँ ।
***
© श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव
सम्पर्क : आई.सी. 5, सैनिक सोसायटी शक्ति नगर, जबलपुर, (म.प्र.)
मो.07869193927,
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈