श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “मनोज के दोहे”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 136 – मनोज के दोहे ☆
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ओजस्वी नेता अटल, वक्ता थे अनमोल।
श्रोता सुनकर कह उठें, अदभुत है हर बोल।।
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जब आए संज्ञान में, गलत काम को छोड़।
सही राह पर चल पड़ो, जीवन का रुख मोड़।।
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प्रभु का यही विधान है,करिए सदा सुकर्म ।
फल मिलता अनुरूप है, गीता का यह मर्म।।
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सोच सकारात्मक रखें, जिससे मिलती राह।
हार न मिलती है कभी, जग में होती वाह।।
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करते अध्यवसाय जब, मिले सफलता नेक।
जीवन का यह सत्य है, उन्नति सीढ़ी एक ।।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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