डॉ कुन्दन सिंह परिहार
☆ व्यंग्य – श्रोता-सुरक्षा के नियम ☆
यह श्रोताओं के महत्व का युग है। आज श्रोताओं की बड़ी माँग है। कारण यह है कि इस देश में गाल बजाने का रोग भयंकर है। हर मौके पर भाषण होता है। जो वक्ता एक जगह परिवार नियोजन पर भाषण देता है, वही दूसरी जगह आठवीं सन्तान के जन्म पर बधाई दे आता है। भाषण देने के लिए सिर्फ यह ज़रूरी है कि दिमाग़ को ढीला और मुँह को खुला छोड़ दो। जो मर्ज़ी आये बोलो। श्रोता कुछ तो वक्ता महोदय के लिहाज में और कुछ आयोजक के लिहाज में उबासियाँ लेते बैठे रहेंगे।
अब लोग भाषण सुनने से कतराने लगे हैं क्योंकि अपने दिमाग़ को कचरादान बनाना कोई नहीं चाहता। इसीलिए भाषणों के आयोजक दौड़ दौड़ कर श्रोता जुटाते फिरते हैं। श्रोता न जुटें तो नेताजी को अपनी लोकप्रियता का मुग़ालता कैसे हो?
एक अधिकारी का प्रसंग मुझे याद आता है। वे अक्सर समारोहों में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किये जाते थे। वे अपने साथ बहुत से दोहे और शेर लिखकर ले जाते और उन्हें पढ़-पढ़ कर घंटों भाषण देते रहते थे। एक बार वे एक संगीत समारोह में मुख्य अतिथि थे। उनके भाषण के बीच में बिजली गुल हो गयी। हमने राहत की सांस ली कि अब वे बैठ जाएंगे। लेकिन दो तीन मिनट बाद जब बिजली आयी तब हमने देखा वे भाषण हाथ में लिये खड़े थे। उन्हें शायद डर था कि बैठने से उनका भाषण समाप्त मान लिया जाएगा।
संयोग से बिजली दुबारा चली गयी। इस बार हमने पक्की तौर पर मान लिया कि वे बैठ जाएंगे, लेकिन जब फिर बिजली आयी तब वे पूर्ववत खड़े थे। उन्होंने भाषण पूरा करके ही दम लिया। बेचारे श्रोता इसलिए बंधे थे क्योंकि भाषण के बाद संगीत होना था। मुख्य अतिथि महोदय ने इस स्थिति का पूरा फायदा उठाया।
अब वक्त आ गया है कि श्रोता जागें और अपने को पेशेवर भाषणकर्ताओं के शोषण से बचाएं। श्रोता को ध्यान रखना चाहिए कि कोई उसे बेवकूफ बनाकर भाषण न पिला दे। इस देश में ऐसे वक्ता पड़े हैं जो विषय का एक प्रतिशत ज्ञान न होने पर भी उस पर दो तीन घंटे बोल सकते हैं। अनेक ऐसे हैं जो खुद प्रमाणित भ्रष्ट होकर भी भ्रष्टाचार के खिलाफ दो घंटे बोल सकते हैं। इसीलिए इनसे बचना ज़रूरी है।
मेरा सुझाव है कि हर नगर में श्रोता संघ का गठन होना चाहिए जिसके नियम निम्नलिखित हों——
- कोई सदस्य संघ की अनुमति के बिना कोई भाषण सुनने नहीं जाएगा।
- श्रोता का पारिश्रमिक कम से कम पचास रुपये प्रति घंटा होगा।
- भाषण का स्थान आधा किलोमीटर से अधिक दूर होने पर आयोजक को श्रोता के लिए वाहन का प्रबंध करना होगा।
- जो वक्ता प्रमाणित बोर हैं उनका भाषण सुनने की दर दुगुनी होगी। (उनकी लिस्ट हमारे पास देखें)
- भाषण दो घंटे से अधिक का होने पर संपूर्ण भाषण पर दुगुनी दर हो जाएगी।
- पारिश्रमिक श्रोता के भाषण-स्थल पर पहुँचते ही लागू हो जाएगा, भाषण चाहे कितनी देर में शुरू क्यों न हो।
- यदि किसी वक्ता के भाषण से किसी सदस्य को मानसिक आघात लगता है तो उसके इलाज की ज़िम्मेदारी आयोजक की होगी। यदि ऐसी स्थिति में सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो आयोजक एक लाख रुपये का देनदार होगा।
- संघ का सदस्यों को निर्देश है कि वे भाषण को बिलकुल गंभीरता से न लें। ऐसा न होने पर उनके लिए दिन में एक से अधिक भाषण पचा पाना मुश्किल होगा।
© डॉ कुंदन सिंह परिहार
जबलपुर, मध्य प्रदेश