डॉ भावना शुक्ल
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 39 – साहित्य निकुंज ☆
☆ कब तक न्याय होगा.. ? ☆
कब तक न्याय होगा।
न्याय के लिए
सब अदालत का
दरवाजा खटखटाते है।
सही न्याय की गुहार लगाते है
मिलता नहीं है
न्याय कभी
या मिलने में सालों लग जाते है
तब तक तड़प की आग
ठंडी हो जाती है ।
और
निकलती है आह
कानून के लिए
कब तक न्याय होगा…
सोचते हैं
फांसी के फंदे की जगह
सजा ऐसी मिले
जो तिल तिलकर मरे
सजा का अहसास
हो हर सांस
बरसों से यही रहती है आस
कब तक न्याय होगा
कानून से टूट जाता है भरोसा
क्योंकि कानून
वास्तव में है अंधा
वकीलों ने बना लिया है धंधा
वकील बच निकलने का
देते है सुझाव
और
तारीख पर तारीख बढ़ती जाती है
और
सब्र का टूट जाता है बांध।
दरिदों को नहीं आती शर्म
नहीं है उनके पास ईमान धर्म
किस मुंह से सजा की मांगते है माफी।
मन यही चाहता है
इनको दो ऐसी सजा
जिससे औरों के उड़ जाए होश
और
खत्म होगा जोश
लेकिन ऐसा होगा
तो
कोई और निर्भया नहीं तड़पेगी
लेकिन
कब तक न्याय होगा
और जब तक न्याय होगा
तब तक दरिदों की दरिंदगी
बढ़ती जायेगी
और
फांसी का फंदा
यूं ही लटकता रहेगा
इंतजार में……
जब तक न्याय होगा…
© डॉ.भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
मोब 9278720311 ईमेल : [email protected]
कब तक न्याय होगा..
कब तक न्याय होगा।
न्याय के लिए
सब अदालत का
दरवाजा खटखटाते है।
सही न्याय की गुहार लगाते है
मिलता नहीं है
न्याय कभी
या मिलने में सालों लग जाते है
तब तक तड़प की आग
ठंडी हो जाती है ।
और
निकलती है आह
कानून के लिए
कब तक न्याय होगा…
सोचते हैं
फांसी के फंदे की जगह
सजा ऐसी मिले
जो तिल तिलकर मरे
सजा का अहसास
हो हर सांस
बरसों से यही रहती है आस
कब तक न्याय होगा
कानून से टूट जाता है भरोसा
क्योंकि कानून
वास्तव में है अंधा
वकीलों ने बना लिया है धंधा
वकील बच निकलने का
देते है सुझाव
और
तारीख पर तारीख बढ़ती जाती है
और
सब्र का टूट जाता है बांध।
दरिदों को नहीं आती शर्म
नहीं है उनके पास ईमान धर्म
किस मुंह से सजा की मांगते है माफी।
मन यही चाहता है
इनको दो ऐसी सजा
जिससे औरों के उड़ जाए होश
और
खत्म होगा जोश
लेकिन ऐसा होगा
तो
कोई और निर्भया नहीं तड़पेगी
लेकिन
कब तक न्याय होगा
और जब तक न्याय होगा
तब तक दरिदों की दरिंदगी
बढ़ती जायेगी
और
फांसी का फंदा
यूं ही लटकता रहेगा
इंतजार में……
जब तक न्याय होगा…
डॉ भावना शुक्ल