श्री राकेश कुमार
(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” आज प्रस्तुत है आलेख की शृंखला – “देश -परदेश ” की अगली कड़ी।)
☆ आलेख # 97 ☆ देश-परदेश – निरीह प्राणी : गधा ☆ श्री राकेश कुमार ☆
अभी हाल ही में रिजर्व बैंक ने अपने एक विज्ञापन में गधे जैसे प्राणी का चित्र लगाकर उपयोग किया, तो थोड़ा आश्चर्य भी हुआ कि बैंकों के बैंक (सरदार) रिजर्व बैंक ने गर्दभ का उपयोग किया है, तो अवश्य ही कोई कारण रहा होगा।
आने वाले समय में देश के अन्य बैंक भी गधे से कम ऊंचाई /लम्बाई के जानवर का उपयोग कर इसको एक नई परंपरा बना देंगे। भेड़, बकरी, कुत्ता, बिल्ली जैसे गधे से छोटे दिखने वाले जानवर अन्य बैंकों के विज्ञापन में जल्द दिखने लगेंगे।
अमिताभ बच्चन जैसी विश्व प्रसिद्ध हस्ती जब रिजर्व बैंक की नीतियों का प्रचार और जानकारी जनता को देते है, उसी का अनुसरण करते हुए स्टेट बैंक ने भी एक और प्रसिद्ध युवा हस्ती महेंद्र धोनी को अपना प्रचारक बना दिया है। आमिर खान को भी ए यू बैंक ने मीडिया प्रचार के लिए अनुबंधित किया था, लेकिन आमिर खान अधिक दिन तक निजी वक्तव्यों के कारण टिक नहीं पाए।
आज गधे का चयन कर रिजर्व बैंक ने उन सब गधों का मान भी बढ़ा दिया है, जो मानव जाति से है, परंतु समाज उनको गधे की संज्ञा दे चुका हैं। अधिकतर वरिष्ठ अपने कनिष्ठ को पीठ पीछे या कभी कभी सामने भी क्रोध में गधा कह ही देते हैं।
इस विज्ञापन को देखकर हमारे पड़ोस के एक बुजर्ग बोले पहले सकरी गली वाले मोहल्ले में गधे गृह-निर्माण कार्य का सामान आदि ढोने का कार्य करते हुए दिख जाते थे, अब पता नहीं कहां चले गए? दर्शन ही दुर्लभ हो गए हैं। हमने भी हंसते हुए कहा, आजकल गधे भी मोबाइल में व्यस्त रहते हैं।
© श्री राकेश कुमार
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