सुश्री दीपिका गहलोत “मुस्कान”
( हम आभारीसुश्री दीपिका गहलोत ” मुस्कान “ जी के जिन्होंने ई- अभिव्यक्ति में अपना” साप्ताहिक स्तम्भ – दीपिका साहित्य” प्रारम्भ करने का हमारा आगरा स्वीकार किया। आप मानव संसाधन में वरिष्ठ प्रबंधक हैं। आपने बचपन में ही स्कूली शिक्षा के समय से लिखना प्रारम्भ किया था। आपकी रचनाएँ सकाळ एवं अन्य प्रतिष्ठित समाचार पत्रों / पत्रिकाओं तथा मानव संसाधन की पत्रिकाओं में भी समय समय पर प्रकाशित होते रहते हैं। हाल ही में आपकी कविता पुणे के प्रतिष्ठित काव्य संग्रह “Sahyadri Echoes” में प्रकाशित हुई है। आज प्रस्तुत है आपकी एक अतिसुन्दर समसामयिक प्रेरणास्पद कविता नयी रोशनी । आप प्रत्येक रविवार को सुश्री दीपिका जी का साहित्य पढ़ सकेंगे।
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ दीपिका साहित्य # 8 ☆
☆ नयी रोशनी ☆
नयी रोशनी फिर जगमगाएगी , वो सुबह जल्द ही आएगी,
हौसला अपना रखना बुलंद, ये ख़ुशी हमसे कब तक छुप पाएगी ,
एक जुट होने का है वक़्त , फिर देखो हर जीत हमारी कहलाएगी ,
हिम्मत ना हारना बस जरा सा रास्ता है बाकी, उस पार फिर खुशियाली लहरायेगी ,
जीवन है संघर्ष का नाम दूसरा, उसके बाद सफलता तुमसे हाथ मिलाएगी ,
ये उतार चढ़ाव तो हिस्सा है, चलते रहना ही जिंदादिली कहलाएगी ,
फबता है खिलखिलाना तुमको , ये चिंता तो चंद लम्हेँ ही रह पाएगी ,
नयी रोशनी फिर जगमगाएगी, वो सुबह जल्द ही आएगी . .
© सुश्री दीपिका गहलोत “मुस्कान ”
पुणे, महाराष्ट्र
Dear Muskan ji,
As usual Very inspiration and perfect for today’s situation..it will give confidence to stand up again and achieve our goals.
Regards
Shrikant Mirajkar
Thank you !