डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(अग्रज एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी जीवन से जुड़ी घटनाओं और स्मृतियों को इतनी सहजता से लिख देते हैं कि ऐसा लगता ही नहीं है कि हम उनका साहित्य पढ़ रहे हैं। अपितु यह लगता है कि सब कुछ चलचित्र की भांति देख सुन रहे हैं। आप प्रत्येक बुधवार को डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’जी की रचनाएँ पढ़ सकेंगे। आज के साप्ताहिक स्तम्भ “तन्मय साहित्य ” में प्रस्तुत है अग्रज डॉ सुरेश कुशवाहा जी के काव्य संग्रह “शेष कुशल है ” से एक अतिसुन्दर कविता “आमंत्रण……” । )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – तन्मय साहित्य # 40 ☆
☆ आमंत्रण…… ☆
समय मिले तो
आ कर हमको पढ़ लो
हम बहुत सरल हैं।
न हम पंडित, न हैं ज्ञानी
न भौतिक, न रसविज्ञानी
हम नदिया के बहते पानी
भरो अंजुरी
और आचमन कर लो
हम बहुत तरल हैं। समय मिलेतो …..
न मस्जिद , न चर्च शिवालै
ऊंच – नीच के, भेद न पाले
लगे सोच पर, कभी न ताले
निश्छल मन से
छंद मधुरतम गढ़ लो
ये स्वर्णिम पल हैं। समय मिले तो……
नहीं समझ से, गूंगे बहरे
न ही उथले, न हम गहरे
हम तो सहज मुसाफिर ठहरे
जीवन पथ पर
कदम मिला कर बढ़ लो
पावन सम्बल है। समय मिले तो……
मिलकर खोजें, नई दिशाएं
बंजर भू पर, पुष्प खिलाएं
जो अभिलाषित है, वो पाएं
कलुषित भाव
विसर्जित सारे कर लो
मन गंगा जल है। समय मिले तो……
© डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर, मध्यप्रदेश
मो. 989326601