प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी  द्वारा रचित – “जो जैसा है सोचता वैसे करता काम…। हमारे प्रबुद्ध पाठकगण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी  काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे।) 

☆ काव्य धारा # 196 ☆ जो जैसा है सोचता वैसे करता काम… ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

चेहरा है शरीर का ऐसा अंग प्रधान

जिससे होती आई है हर जन ही पहचान।

द्वेष भाव संसार में है एक सहज स्वभाव

जाता है बड़ी मुश्किल से कर ढेरों उपाय ।

 *

स्वार्थ, द्वेष हैं शत्रु दो सबके प्रबल महान

जो उपजाते हृदय में लोभ और अभियान |

 *

होती प्रीति की भावना गुण-दोषों अनुसार

पक्षपात होता जहाँ दुखी वही परिवार

 *

जिनका मन वश में सदा औ खुद पर अधिकार

उन्हें डरा सकता नहीं कभी भी यह संसार ।

 *

इस दुनियाँ में हरेक का अलग अलग संसार

वैसा करता काम जन जैसा सोच विचार

 *

बहुतों को होता नहीं खुद का पूरा ज्ञान

 क्योंकि उनकी बुद्धि को हर लेता अभिमान।

 *

 हर एक जैसा सोचता वैसे करता काम

सहना पड़ता भी किये करमो का परिणाम ।

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए २३३ , ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी  भोपाल ४६२०२३

मो. 9425484452

[email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments