सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’

(संस्कारधानी जबलपुर की सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ ‘जी सेवा निवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, डिविजनल विजिलेंस कमेटी जबलपुर की पूर्व चेअर पर्सन हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में पंचतंत्र में नारी, पंख पसारे पंछी, निहिरा (गीत संग्रह) एहसास के मोती, ख़याल -ए-मीना (ग़ज़ल संग्रह), मीना के सवैया (सवैया संग्रह) नैनिका (कुण्डलिया संग्रह) हैं। आप कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित हैं। आप प्रत्येक शुक्रवार सुश्री मीना भट्ट सिद्धार्थ जी की अप्रतिम रचनाओं को उनके साप्ताहिक स्तम्भ – रचना संसार के अंतर्गत आत्मसात कर सकेंगे। आज इस कड़ी में प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम कविता प्रेम पंथ

? रचना संसार # 23 – कविता – प्रेम पंथ…  ☆ सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’ ? ?

प्रेम पंथ पर चलते जाओ,

पथिक मिलेगा तुम्हें किनारा।

सच्चे प्रेमी के हिय मे ही,

नित्य बहे शुचि प्रेमिल धारा।।

राधा सी तुम प्रीति करो अब,

मीरा सी बनके  दीवानी।

युगों युगों तक याद करेगी,

दुनिया तेरी अमर कहानी ।।

बनो श्याम से सखा जगत में,

नित्य बढ़ेगा मान तुम्हारा।

प्रेम पंथ पर चलते जाओ,

पथिक मिलेगा तुम्हें किनारा।।

 *

प्रीत अलौकिक अनुपम होती,

नव विश्वास जगाती मन में।

स्वर्ग सरिस सुख सागर मिलता,

खुशियां भर देती जीवन में।।

संयम सदा प्रेम में रखिए,

वेद ऋचा सा जीवन सारा।

प्रेम पंथ पर चलते जाओ,

पथिक मिलेगा तुम्हें किनारा।।

 *

अर्पण संजीवन बूटी है,

गंग धार सी निर्मल पावन।

भाव अमल हो सागर जैसे,

मर्यादा के पुष्प लुभावन।।

आत्मबोध में बसे नेह का,

मिले निबल को सदा सहारा।।

प्रेम पंथ पर चलते जाओ,

पथिक मिलेगा तुम्हें किनारा।।

© सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’

(सेवा निवृत्त जिला न्यायाधीश)

संपर्क –1308 कृष्णा हाइट्स, ग्वारीघाट रोड़, जबलपुर (म:प्र:) पिन – 482008 मो नं – 9424669722, वाट्सएप – 7974160268

ई मेल नं- [email protected], [email protected]

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकश पाण्डेय ≈

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