डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे – अम्बे माँ ।)
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माँ तुम जननी जगत की, करती जग उद्धार।
कृपा आपकी बरसती, मिलता प्यार अपार।।
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दीप ज्ञान का जल रहा, लगता माँ में ध्यान।
राह कठिन है माँ करो, मेरा तुम कल्याण।।
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ब्रह्मचारिणी मातु को, करते सभी प्रणाम।
नौ देवी की नवरात्रि, द्वितीय तेरे नाम।।
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तप करती तपश्चारिणी, निर्जल निरहार।
हाथ जोड़कर पूजते, हो देवी अवतार।।
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करना अंबे तुम दया, रखना मेरी लाज।
भक्तों के तुम कर रही, माता पूरे काज।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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