श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता छोटा सा दीपक…”।

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 196 ☆

☆ # “छोटा सा दीपक…” # ☆

इस कुटिया का

छोटा सा दीपक

अखंड जल रहा है

स्याह तम को खल रहा है

उसके मध्यम रोशनी में

एक ख्वाब पल रहा है

जो निरंतर अंदर ही अंदर

धीरे धीरे चल रहा है

 

सुबह-शाम

दिन और रात

आंधी तूफान हो

या बरसात

कपकपाती ठंड हो

गर्मी प्रचंड हो

हवा में चुभती नमी हो

या बर्फ जमी हो

वह निर्बाध जल रहा है

अपनी गति से चल रहा है

 

वो तब तक जलेगा

जब तक

मशाल ना बन जायें

अंधकार का

काल ना बन जायें

 

उसका लक्ष्य है –

मशाल बनकर

वह जला देगा

अंधविश्वास

कुरितियां

जो है आसपास

अशिक्षा, भेदभाव

पाखंड, अभाव

जात-पात

शह और मात

अन्याय, अत्याचार

आडंबर, तिरस्कार

गरीबी अमीरी

दिलों के बीच की दूरी

 

मशाल बनकर

वह रोशन कर देगा

संसार को

पराजित कर देगा अंधकार को

 

और 

सर उठाकर

सीना तानकर

खड़ा होगा

सूरज के सामने

लगेगा प्रकाश के

वेग को नापने

वो काल के माथे पर

एक दस्तक होगा

तब सुर्य भी

उसके आगे नतमस्तक होगा /

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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