श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “टूटे दिल की पुकार…”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 198 ☆
☆ # “टूटे दिल की पुकार…” # ☆
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जिंदगी में मुझे मिली
मात बार बार
वो जीतते रहे
हम देखते रहे हार
वो हुनरमंद हैं
पर रूढ़ियों में बंद हैं
तोड़ना दिलों को
उनका है कारोबार
वो नभ में उड़ रहे हैं
सितारों से जुड़ रहे हैं
उन्हें धरा पर बसने वालों से
नहीं कोई सरोकार
कभी कलियां मिलीं
कभी सूनी गलियां मिलीं
हम ढूंढते रहे उनको
जिनपर था ऐतबार
उनको पाने के लिए
प्यार जताने के लिए
अपना बनाने के लिए
बेच दिया घर-बार
ना वो हमे पा सके
ना हम उनको पा सके
हमारी बेबसी पर
हंस रहा संसार
जीवन के इस मोड़ पर
सब गये छोड़कर
यादों के सहारे
जीना कितना है दुश्वार
नहीं किसी से गिला
जो था नसीब में वो मिला
पतझड़ के मौसम में
मौत का है इंतज़ार
माशूक को दिल तोड़ने की अदा ना देना
प्यार में किसी को ऐसी सजा ना देना
जो तड़पते रहे उम्र भर
ऐ मेरे परवरदिगार /
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© श्याम खापर्डे
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