श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे ”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 153 – मनोज के दोहे ☆
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हँसी-खुशी परिवार की, आनंदित तस्वीर।
सुख-दुख में सब साथ हैं, धीर-वीर गंभीर।।
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माया जोड़ी उम्रभर, फिर भी रहे उदास।
नहीं काम में आ सकी, व्यर्थ लगाई आस।।
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टाँग रखी दीवार पर, मात-पिता तस्वीर।
जिंदा रहते कोसते, उनकी यह तकदीर।।
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यादें करें अतीत की, बैठे सभी बुजुर्ग।
सुदृढ़ थी परिवार की, बचा तभी था दुर्ग।।
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कविता साथी है बनी, चौथेपन में आज।
साथ निभाती प्रियतमा, पहनाया सरताज।।
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तन-मन आज जवान है, नहीं गए दरगाह।
उम्र पचासी की हुई, देख करें सब वाह।।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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