श्री सुरेश पटवा

(श्री सुरेश पटवा जी  भारतीय स्टेट बैंक से  सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों  स्त्री-पुरुष “गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की  (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं  तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व  प्रतिसाद मिला है। आज से प्रत्यक शनिवार प्रस्तुत है  यात्रा संस्मरण – हम्पी-किष्किंधा यात्रा)

? यात्रा संस्मरण – हम्पी-किष्किंधा यात्रा – भाग-५ ☆ श्री सुरेश पटवा ?

सुबह का नाश्ता और रात्रिभोज होटल के पैकेज में शामिल है। सभी एक साथ नाश्ता और रात्रिभोज करते हैं। वहीं अगली कार्ययोजना तय हो जाती है। राजेश जी का संदेश रात को ही प्राप्त हो गया था कि सुबह आठ बजे होटल के डाइनिंग एरिया में नाश्ता लेकर साढ़े आठ बजे बस में सवार होना है। नाश्ते में स्पंजी डोसा, इडली, बड़ा, पूड़ी, सब्ज़ी के अलावा ब्रेड बटर ऑमलेट भी थे। मीठे में सूजी का हलवा स्वादिष्ट लगा। नाश्ते के समय यह ध्यान रखना ज़रूरी होता है कि यदि सभी आइटम चखते जाएँ तो अति भोजन होना ही है। मुफ्त से लगने वाले यानी पैकेज में शामिल नाश्ता करते समय पर्यटक एक गलती अक्सर करते हैं। तुरंत पैसे तो देने नहीं हैं या पैसे तो दे ही चुके हैं। इसलिए खींच कर खा लेते हैं। जिसका परिणाम एक तो हाज़मा ख़राब और दूसरा जब बस में बैठकर नज़ारे देखना है तब सीट पर खर्राटे भरते हैं। हम तो खाने और सोने आए हैं। भूगोल-इतिहास किताबी बातें हैं। पर्यटन के दौरान इस प्रवृत्ति से बचेंगे तो घूमने का आनंद उठा पाएंगे। 

समूह में परस्पर स्नेहिल संबंध कायम हो गए हैं। समूह के सभी सदस्य सकारात्मक सोचधारी हैं। क्षुद्र स्वार्थ का द्वेषपूर्ण भाव या शिकायती लहजा किसी में भी नहीं दिखता। इस कारण पूरी यात्रा में अनबन जैसी बातें जो कि समूह प्रबंधन में अक्सर दिखती हैं, अब तक की यात्रा के दौरान नदारत हैं। सब हनुमान भक्ति में डूबे हैं। बस में सुबह की यात्रा अभिष के सस्वर हनुमान चालीसा गायन से शुरू होती है। बाक़ी सभी यात्री उनसे स्वर मिलाकर भक्तिपूर्वक गायन में हिस्सा लेते हैं। उसके बाद बीच-बीच में मज़ाक़ ठिठोलियों की फुहारें छूटती रहती हैं। कोई व्यक्तिगत निजी टिप्पणी नहीं होती है।

ड्राइवर के बराबर सीट पर बैठ ख़ुद डॉ.राजेश श्रीवास्तव समूह को नेतृत्व प्रदान करते हैं। उन्होंने गाइड चंदू को भी साथ बिठा लिया है। जिससे उन्हें पर्यटन स्थलों पर पहुँचने, रुकने और आगे बढ़ने में सुभीता है। उनके पीछे सिंगल सीट पर कंडक्टर की भूमिका में सुरेश पटवा सीटी बजाकर समूह को नियंत्रित करते हैं। उनके समानांतर कवियत्री रूपाली अपनी शिक्षिका मम्मी श्रीमती मंजु श्रीवास्तव के साथ हैं। उनके पीछे डॉ. जवाहर कर्णावत और अनुभूति शर्मा विराजमान हैं। उसके बाद घनश्याम मैथिल और अभिष श्रीवास्तव बैठे हैं। सिंगल सीट पर अरुण गुप्ता और उनके पीछे डॉक्टर दिनेश श्रीवास्तव जमे हैं। पिछली सीट पर श्री विजय शंकर चतुर्वेदी, श्री सनोज तिवारी, डॉ जयशंकर यादव और गोपेश बाजपेयी बैठे हैं।

आज हम्पी भ्रमण है। भूगोल इतिहास किसी भी पर्यटन की जान होते हैं। यदि इनका ज्ञान और भान न हो तो पर्यटन “ये खाया-वो खाया” और ‘ये खरीदा-वो खरीदा’ का मुरब्बा बनकर रह जाता है। हमने दक्षिण भारत का राजनीतिक भूगोल याद किया। दक्षिण भारत में पाँच राज्य आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना के साथ तीन केंद्र शासित प्रदेश अंडमान निकोबार, पुडुचेरी और लक्षद्वीप शामिल हैं। जहाँ की आबादी की भाषाएँ द्रविड़ परिवार की हैं। हिंदी सभी जगह समझी जाती है। हालाँकि राजनीति ने बहुत नीबू निचोया पर हिन्दुस्तानी कढ़ाई में हिंदी का खालिस दूध मद्धिम आँच में मलाईदार होता जा रहा है। राज्य की सीमाएँ आम तौर पर भाषाई आधार पर हैं।

श्रीराम ने भ्राता लक्ष्मण और सीता जी के साथ नासिक के पास पंचवटी में आरण्यक समय बिताया था। वहीं से रावण ने सीता जी का अपहरण किया था। जिनकी खोज में वे भटकते हुए श्रीराम-लक्ष्मण किष्किन्धा खंड के पम्पा क्षेत्र पहुँचे थे, जहाँ उनकी भेंट हनुमान जी से हुई थी। हम उसी स्थान पर हैं। श्री राम सेना सहित यहाँ से मदुरा होते हुए रामेश्वरम पहुँचे थे। रामायण काल में यह क्षेत्र बियाबान जंगल था। वानर मति और गति से ही इस क्षेत्र में पार पाया जा सकता था। गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियों पूर्व से पश्चिम बहती हैं।

श्रीमती मंजू श्रीवास्तव और उनकी पुत्री रूपाली सबसे आगे की दोहरी सीट पर हैं। उनके बाजू वाली सिंगल सीट पर हम जमे हैं।  मंजू जी हमको पटवा भाई साहब बुलाने लगी हैं तो इस हिसाब से रूपाली ने हमसे मामाजी का रिश्ता बना लिया है। रूपाली ने पूछा – मामा जी, दक्षिण भारत का भूगोल-इतिहास  बताइए न। छेड़ने भर की देर थी। अपना रिकॉर्ड चालू हो गया।

सुनो रूपाली, दक्षिण भारत में छह  पारंपरिक भौगोलिक क्षेत्र हैं।

पीछे से आवाज आई, यह नहीं चलेगा। थोड़ा जोर से बोलिए, हम भी सुनेंगे। हमने तिरछा होकर वॉल्यूम तेज कर बोलना शुरू किया।

महाराष्ट्र से नीचे दक्षिण में उतरते ही कर्नाटक में- दक्कन के पठार का मैदानी क्षेत्र बयालुसीमे, केनरा या करावली तट, समुद्री तट और पठार के बीच सह्याद्रि पहाड़ियाँ मालेनाडु, गोदावरी नदी के उत्तर में स्थित क्षेत्र, मैसूर के आसपास दक्षिण कर्नाटक मुलकानाडु। धारवाड के आसपास उत्तरी कर्नाटक, जिस क्षेत्र में हम्पी स्थित है। कोंकण तटीय क्षेत्र, जिसमें तटीय महाराष्ट्र, गोवा और तटीय कर्नाटक का हिस्सा शामिल है। रायचूर दोआब, जिसमें ज्यादातर उत्तरी कर्नाटक, कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों के बीच का क्षेत्र तुलु नाडु, उडुपी और दक्षिण केनरा के तटीय जिले आते हैं।

जब हमने थोड़ी सांस ली तो अनुभूति बोलीं – आपको इतना याद कैसे रहता है। हमने कहा- हम भूलते नहीं है इसलिए याद रहता है। सब ठहाकर हँस दिए।

हमारे प्रवचन फिर शुरू हुए, आंध्र प्रदेश में- कम्मनडु – कृष्णा नदी के दक्षिण में नेल्लोर तक का क्षेत्र, कोनसीमा – गोदावरी जिले में गोदावरी नदी की सहायक नदियों के बीच का तटीय क्षेत्र, कोस्टा – आंध्र प्रदेश के तटीय जिले, रायलसीमा – जिसमें कुरनूल, कडप्पा, अनंतपुरम और चित्तूर जिले शामिल हैं। उत्तरांध्र – आंध्र प्रदेश का उत्तरी भाग, जिसमें तीन जिले श्रीकाकुलम, विजयनगरम और विशाखापत्तनम  शामिल हैं। वेलानाडु – अर्थात् गुंटूर से श्रीशैलम तक कृष्णा नदी के तट पर स्थित स्थान।

चलिए अब तमिलनाडु चलते हैं वहाँ- चेरा नाडु – पश्चिमी तमिलनाडु और अधिकांश आधुनिक केरल, कोंगु नाडु – कोयंबटूर के आसपास पश्चिमी तमिलनाडु, चेट्टिनाडु – शिवगंगा के आसपास दक्षिणी तमिलनाडु, चोल नाडु – तंजावुर के आसपास मध्य तमिलनाडु,  पलनाडु – उत्तरी तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के दक्षिणी जिले, पंड्या नाडु – मदुरै के आसपास दक्षिणी तमिलनाडु, उत्तरी सरकार – ब्रिटिश भारत में मद्रास राज्य में मुस्लिम प्रशासनिक इकाइयाँ, अर्थात् चिकाकोले, राजमुंदरी, एलोर, कोंडापल्ली और गुंटूर, टोंडाई नाडु – कांचीपुरम के आसपास उत्तरी तमिलनाडु, तिरुविथमकूर या त्रावणकोर- दक्षिणी केरल और तमिलनाडु का कन्याकुमारी जिला, दक्षिण मालाबार – केरल का उत्तर-मध्य क्षेत्र, जो कोरापुझा और भरतप्पुझा नदियों के बीच स्थित है।

इतने कठिन क्षेत्रों का नाम सुनते-सुनते कुछ साथी बाहर झांकने लगे थे। तब तक हमारा वर्णन केरल तटीय नाडू पर पहुँच चुके थे।

केरल- कोचीन – केरल का क्षेत्र जो भरतप्पुझा और पेरियार नदियों के बीच स्थित है, कभी-कभी पम्बा तक फैला हुआ है। उत्तरी मालाबार – जो मैंगलोर और कोझिकोड के बीच स्थित है, यह एझिमाला साम्राज्य, मुशिका राजवंश और कोलाथुनाडु की पूर्व त्रावणकोर रियासत थी।

अब सुनिए उस क्षेत्र को जिसे अंग्रेजों और फ्रांसीसियों ने सबसे पहले दबोचा था। अर्थात कोरोमंडल तट – दक्षिण तटीय आंध्र प्रदेश, उत्तरी तटीय तमिलनाडु और पुडुचेरी केंद्र शासित प्रदेश दक्कन पठार – आंतरिक महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक को कवर करने वाला पठारी क्षेत्र। इसमें मराठवाड़ा, विदर्भ, तेलंगाना, रायलसीमा, उत्तरी कर्नाटक और मैसूर क्षेत्र शामिल हैं।

अब चलते हैं द्वीप समूह- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भारत के पूर्वी तट से बहुत दूर, बर्मा के तेनासेरिम तट के पास स्थित है। भारत की मुख्य भूमि का सबसे दक्षिणी छोर हिंद महासागर पर कन्याकुमारी (केप कोमोरिन) है। लक्षद्वीप के निचले मूंगा द्वीप भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट से दूर हैं। श्रीलंका दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है, जो पाक जलडमरूमध्य और श्रीराम के पुल के नाम से जाने जाने वाले निचले रेतीले मैदानों और द्वीपों की श्रृंखला द्वारा भारत से अलग किया गया है।

आज की योजना कुछ इस तरह है कि पहले तुंगभद्रा नदी किनारे गुफा दर्शन फिर हम्पी भ्रमण। अतः सबसे पहले कमलापुर पहुँचे, जहाँ तुंगभद्रा नदी के किनारे एक गुफा है। किंवदंती है कि लंका अभियान के बाद इसी गुफा में विजयी सेना की सभा में श्रीराम ने सुग्रीव का किष्किन्धा की गद्दी पर राज्यारोहण किया था। बाली का पुत्र अंगद भी दल बदल करके सुग्रीव की पार्टी से रक्षामंत्री बना था। गुफा में अंदर जाकर देखा कि शायद सुग्रीव वंश का कोई सांसद या विधायक अनुयायियों को जातिगत और वंशगत राजनीतिक समीकरण समझा रहा हो। परंतु वहाँ बोर्ड लगा था। सावधान, भारत की राजनीतिक गुत्थियों से भरी इस गुफा में आगे जाना मना है। कारोबार में लेनदेन बराबर होना चाहिए। धर्म के शोकेस मे धन का घुन लग चुका है।

क्रमशः… 

© श्री सुरेश पटवा 

भोपाल, मध्य प्रदेश

*≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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