डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से  प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे दुष्यन्त उवाच )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 259 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे – दुष्यन्त उवाच ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆

आओ बैठो पास तुम, सुन लो मेरी बात।

कहना तुमको है बहुत, बड़ी सुहानी रात।।

शकुन्तले! तुम रूपसी, तुमको रहा निहार।

तुम हो मेरी प्रेमिका, दिल में प्यार अपार।।

प्रेम कुंज ऐसे सजा, अनुपम लगे विहार।

करता हूँ तुमसे शुभे, भाव भरी मनुहार।।

जड़ित अँगूठी देखकर, होता हर्ष अपार।

सुध तुम इतनी भूलती, डूबी जल की धार।।

परिणय मेरे के साथ में, देखो निज शृंगार।

नैन तुम्हारे कह रहे, झलक रहा है प्यार।।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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