श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता विदाई समारोह में…”।

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 201 ☆

☆ # “विदाई समारोह में…” # ☆

(कई बार विदाई समारोहों में भी इस प्रकार का संवेदनशील साहित्य हृदय से निकल कर पंक्तिबद्ध हो जाता है।)

मैडम, आपको भुलाने की

हर कोशिश व्यर्थ जायेगी

हम सबको आपकी

बहुत बहुत याद आयेगी

 

आप कितनी सहज सरल हैं 

आपमें नहीं कोई छल है

आपका स्नेह, आपका दुलार

जैसे हिमालय से निकला गंगाजल है

 

आपने हमको चलना सिखाया

एक दूसरे से मिलना सिखाया

ठोकर लगेंतो संभलना सिखाया

मनमुटाव छोड़कर पिघलना सिखाया

 

आपने अपनी हमें ममता दी है

कठिनाइयों से लड़ने की क्षमता दी है

सहेली बनकर सहज राह दिखाई

लक्ष्य हासिल करने की निपुणता दी है

 

आपने स्त्री शक्ति का पाठ पढ़ाया

हममें योग्यता है यह समझाया

कुछ भी असम्भव नहीं है जग में

हम सब पर विश्वास जताया

 

परिवार है तो सम्मान है

मां-बाप, सास-ससुर

एक समान है

जो करते हैं इनकी सेवा

जग में होता उनका गुणगान है

 

आपसे विदाई बहुत कठिन  है

रोती यह आंखें रात-दिन है

आप तो मां से भी बढ़कर है

ममता अधूरी आपके बिन है

 

आप सदा मुस्कुराते रहिए

अपना प्यार लुटाते रहिए

हम सब तो है आपकी बेटीयां

हमसे मिलने आते रहिए /

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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