श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है आपके “मनोज के दोहे”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 157 – मनोज के दोहे ☆
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अविश्वास के दौर ने, बड़ी खींच दी रेख।
संबंधों की बानगी, समय बिगड़ता देख।।
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रामायण के पात्र सब,बहुविध दें संदेश।
यश अपयश की राह चुन, हम बदलें परिवेश।।
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विद्या पा जाग्रत करें, अपना ज्ञान विवेक।
जीवन सफल बनाइए, राह बनेगी नेक।।
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नेकी की दीवार से, गढ़िए नए मुकाम।
मानवता समृद्धि से, खुश होते श्री राम।।
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कालचक्र अविरल चला, गढ़ी गई यह सृष्टि।
फिर उदास किस बात पर, बदलें अपनी दृष्टि।।
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© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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