डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से  प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे – पर्यावरण)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 263 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे – पर्यावरण ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆

झरने झील पहाड़ की, करो न कोई बात।

याद मुझे आने लगी, वहीं सुहानी रात।।

*

मन प्रसन्न अब हो गया, देख तेरा ये रुप।

तुझमें अन्तर बहुत है, लगी समय की धूप।।

*

चिंता अब बढ़ने लगी, नहीं बचेंगे प्राण।

पर्यावरण  को नष्ट कर, करते भवन निर्माण।।

*

भानु देवता कर रहे, चारों ओर प्रकाश।

सूर्य उगता दिखा रहा, है सुंदर आकाश।।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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